MSP कब लागू हुई
MSP सहकार ने साल 1966-67 में पहली दफा (Minimum Support Price) पेश किया था. ऐसा तब हुआ जब स्वतंत्रता के समय भारत को अनाज उत्पादन में बड़े ही घाटे का सामना करना पड़ा. जब धटेका सामना हवा तबसे MSP लगातार व्यवस्था चली रही है.
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MSP का अर्थ ओर उदाहरण
Minimum Support Price, भारत सहकार तय करती है। जोकि यदि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2000 रूपए प्रति हिसाबसे निर्धारित किया गया है तो कोई व्यापारी किसी किसान से 2100 रूपए प्रति हिसाब से धान खरीद सकता है लेकिन 2175 रूपए प्रति हिसाब की दर से नहीं खरीद सकता।
कितने किसान msp का लाभ मिलाता है
अब बड़ी बात यह है कि 1 करोड़ 85लाख किसान ही उठा पाते हैं एमएसपी का लाभ,
नाबार्ड की एक रिपोर्ट के मुजब किसान परिवारों की संख्या देश के कुल परिवारों की लगभग आधे जेसी हे। 11cr से अधिक परिवार तो pm किसान सम्मान निधि के ही लाभार्थी हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि करोड़ों की तदात्मे में वैसे किसान भी हैं जो इस सम्मान के दायरे में नहीं आते हैं।

सहकार मुख्य रुपए कोंसी फसल msp पर खरीद ती हे
सरकार मुख्य रुपए 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है
मुख्य रूप से उसमे गेहूं और धान का समावेश बड़ी मात्रा में सहकार खरीदी करती है
3 कृषि कानूनों को रद्द कराने के बाद किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। कब करेगी सहकार किसानोकी मांग। Minimum Support Price (एमएसपी) पर उपज खरीद की गारंटी का कानून बने, यह उनकी सबसे बड़ी मांग है।
2022-23 में एक हजार 62 लाख 69 हजार टन अनाज एमएसपी पर खरीदा गया।
कृषि मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के रिसर्च डायरेक्टर पुसन शर्मा ने कहा, ‘सरकार उन्हीं फसलों को खरीदती है, जिनका भाव मंडी में एमएसपी से कम चल रहा हो। जैसे मंडिमे 1100 सो क्विंटल है तो सैयद वो फसल खरीद सकती हे।
Minimum Support Price (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत और मांगों के लिए जारी आंदोलन के बीच सच्चाई यह भी है कि देश में करीब 14 करोड़ किसानों में से 2cr से भी कम किसानों को ही इसका लाभ मिल पाता है। बाकी किसानों के पास इतनी जमीन ही नहीं है कि वह खाने से ज्यादा उपजा सकें और सहकार को बेच सकें।
केंद्र सरकार MSP पर खरीदारी के लिए खरीफ की फसलों को प्रत्येक वर्ष जुलाई-अगस्त और रबी के लिए फरवरी-मार्च में खरीदनेकी प्रक्रिया शुरू करती है।
पिछले साल एमएसपी की माहिती
पिछले वर्ष 14 cr में सिर्फ 1.6 cr किसान ही एमएसपी पर बेच पाए थे
MSP के सबसे ज्यादा लाभार्थी ओ कि संख्या पंजाब और हरियाणा के किसान हैं
पंजाब में नोध कीगई किसानों की कुल संख्या 15 लाख 30 हजार है। पिछले वर्ष सात लाख 85 हजार 313 किसानों ने ही एमएसपी पर धान बेचा था।
इसी तरह गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या की मात्र सात लाख 82 हजार 715 है।
बिहार में केवल धान और गेहूं की ही एमएसपी पर खरीदारी होती है
यह स्थिति उस शीर्ष राज्य की है, जहां एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। सरकार की अधिसूचित फसलों में 14 खरीफ, छह रबी एवं दो अन्य फसलें हैं। पिछले वर्ष दो और फसलों को शामिल किया गया है। एक पक्ष यह भी है कि कोई भी राज्य इन सभी फसलों की खरीदारी नहीं करता है।
अब अगर सभी धन्य को सहकार खरीद ले तो वो रखेगी कहा और पैसे कहासे लाएगी कुछ का कहना है कि msp देना संतेतेबाल नहीं हे पर एक ओर रास्ता सोच लिया हे जोकि मध्यप्रदेश और हरियाणा सहकारने एक ओर रास्ता सोच लिया हे जोकि PDP हे प्राइस डिफिसियंसी पेमेन्ट हे जोकि सहकार और msp के बीच जितना अंतर होगा उतना सहकार दे देगी
FAQ
भारत में एमएसपी की शुरुवात कब हुई थी
MSP सहकार ने साल 1966-67 में पहली दफा पेश किया था.
एमएसपी का फूल फोम किया हे
MSP का पूरा नाम Minimum Support Price हे।
सारांश
आखिर कर आपको सहकार की यह बात यानी आइडिया केसा लगा अगर यह उनका सुझाव केसा लगा MSP ओर PDP केसा लगा
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