डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि पर आज उन्हें श्रद्धांजलि। बाबा साहेब, जिन्होंने संविधान निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, आज भी एक प्रेरणा बने हुए हैं।
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डॉ. अंबेडकर का बचपन आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के बीच बीता। उन्होंने विषम परिस्थितियों में अपनी शिक्षा पूरी कर 32 डिग्रियां हासिल कीं।
बचपन में छुआछूत और जातिगत भेदभाव झेलने वाले डॉ. अंबेडकर ने दलित समाज के उत्थान के लिए कार्य करना शुरू किया और जाति-पाति के अंत के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने भारत का संविधान तैयार किया, जो आज भी समानता और स्वतंत्रता की नींव है।
बाबा साहेब ने अपने विचारों से समाज को नई दिशा दी। उन्होंने कहा, "जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल करते, कानून की स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं है।
उनके विचार आज भी प्रेरणा देते हैं। "जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए," उन्होंने यह विचार युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए दिया।
डॉ. अंबेडकर ने कहा, "मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।" उनके यह विचार सामाजिक समरसता की मिसाल हैं।
आज बाबा साहेब की पुण्यतिथि पर, उनके योगदान को याद करते हुए हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है।
बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलें और समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा दें।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन। उनका जीवन और उनके विचार सदैव हमारी प्रेरणा बने रहेंगे।